मौत-ओ-हस्ती की कशमकश में कटी उम्र तमाम, गम ने जीने न दिया शौ | 💕Relationship💕
मौत-ओ-हस्ती की कशमकश में कटी उम्र तमाम, गम ने जीने न दिया शौक ने मरने न दिया। वादा करके और भी आफ़त में डाला आपने, ज़िन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया। तुम समझते हो कि जीने की तलब है मुझको, मैं तो इस आस में ज़िंदा हूँ कि मरना कब है। न उड़ाओ यूं ठोकरों से मेरी खाके-कब्र ज़ालिम, यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
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